खजुराहो का नाम सुनकर हमारे दिमाग में बस एक ही ख्याल आता है जो Khajuraho Mandir के बाहरी दीवारो पर बनी कामुक मूर्तियाँ है। Khajuraho Mandir ही नही अपितु हर मंदिर की बाहरी तरफ इस तरह की कामोत्तेजक मूर्तियाँ होती है। लेकिन कहीं भी मंदिर के भीतर इस तरह की कामोत्तेजक सामग्री नहीं पाई जाती। यह हमेशा बाहरी दीवारों पर ही मिलेगी। इसके पीछे तर्क यह है कि अगर आप यह जानना चाहते हैं कि भीतर क्या है तो आपको अपनी भौतिकता या शारीरिक पहलू को यहीं छोड़ देना होगा। शारीरिक पहलू आसान होते हैं, ये बाहर ही हैं।
परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण तथ्य–
Khajuraho mandir के समूहों को 1986 में विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया। दसवीं और शताब्दी में चंदेल राजवंश द्वारा निर्मित Khajuraho mandir समूह स्थापत्य कला और मूर्तिकला का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। साथ ही इनके पटल पर पत्थरों से उत्कीर्ण सुदंर-सुदंर नर-नारियों, अप्सराओं आदि के आकर्षक रूप-श्रृगांर में मूर्तियाँ सजीव सी प्रतीत होती हैं। नागर शैली में बने ये मंदिर अब संख्या में 20 ही बचे है, जिनमें कदंरिया महादेव का मंदिर रुप से प्रसिद्ध है।
Khajuraho Mandir का रहस्य
Khajuraho Temple काफी प्राचीन है। खजुराहो चंदेल साम्राज्य की राजधानी थी। पृथ्वीराज रासो में मध्यकाल के दरबारी कवि चंदबरदाई ने चंदेल वंश की उत्पत्ति के बारे में बताया कि काशी के राजपंडित की बेटी हेमवती अति सुदंर थी। जब एक दिन वो गर्मियों के मौसम में रात के समय कमल-पुष्पों से भरे एक तालाब में नहा रही थी तो उसकी खूबसूरती देख कर भगवान चन्द्र उनकी ओर आकर्षित हो गए।
हेमवती की सुंदरता से मोहित हुए भगवान् चन्द्र ने धरती पर आकर मानव रूप धारण किया और हेमवती का हरण कर लिया। हेमवती एक विधवा थी और एक बच्चे की मां भी थी। उन्होंने चन्द्रदेव पर चरित्र हनन करने और जीवन नष्ट करने का आरोप लगाया। चन्द्रदेव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने हेमवती को यह वचन दिया कि वो एक वीर पुत्र की मां बनेगी। हेमवती से चन्द्रदेव ने कहा कि वो अपने पुत्र को खजूरपूरा ले जाये। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि उसका पुत्र एक महान राजा बनेगा। उन्होंने कहा कि यह महान राजा बनने के बाद ऐसे मंदिरों का निर्माण करवाएगा जो बाग़ और झीलों से घिरे हुए होंगे।
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खजुराहो 64 काम कलाएं
वात्स्यायन ने कामसूत्र में 64 कलाओं का उल्लेख किया है जो मनुष्य के जीवन में काम आने वाली विधाएं हैं। वो आज भी प्रासंगिक हैं। कामसूत्र से प्रेरित होकर भारत के अनेक मंदिरों में भी बाहरी दीवारों पर अनके कामुक मूर्तियों का प्रचलन हुआ लेकिन खजुराहो मंदिर की मूर्तियाँ पूरे विश्व में चर्चित है खजुराहो की 64 कलाएं निम्नलिखित है-
- गायन कला में कुशल होना।
- नृत्य में अत्यधिक दक्ष होना।
- अभिनय में पारगंत होना।
- वाद्ययंत्र बजाना।
- चित्रकारी में निपुण होना।
- सिद्धि प्राप्त करना।
- कूटनीति करना।
- हाथ की फुर्ती के काम ।
- कपड़े और गहने बनाना ।
- रत्नों को नाना प्रकार के आकारों में काटना ।
- विजय प्राप्त कराने वाली विद्या ।
- खानों की पहचान ।
- हार-माला आदि बनाना ।
- कान और चोटी के फूलों के गहने बनाना ।
- फूलों के आभूषणों से श्रृंगार करना ।
- नयी-नयी बातें निकालना कठपुतली बनाना, नाचना ।
- वृक्षों की चिकित्सा।
- छल से काम निकालना ।
- समस्त छन्दों का ज्ञान ।
- वस्त्रों को छिपाने या बदलने की विद्या।
- मन्त्रविद्या ।
- मणियों के रंग को पहचानना ।
- चाहे जैसा वेष धारण कर लेना ।
- चावल और पुष्पादि से पूजा के उपहार की रचना करना ।
- फूलों की सेज बनाना ।
- दांत, वस्त्र और अंगों को रंगना ।
- मणियों की फर्श बनाना ।
- शय्या-रचना (बिस्तर की सज्जा)।
- जल को बांध देना ।
- कानों के पत्तों की रचना करना ।
- सुगंध वस्तुएं-इत्र, तैल आदि बनाना ।
- इंद्रजाल-जादूगरी ।
- सूई का काम ।
- पट्टी, बेंत, बाण आदि बनाना।
- भेड़ा, मुर्गा, बटेर आदि को लड़ाने की रीति ।
- तोता-मैना आदि की बोलियां बोलना ।
- उच्चाटन की विधि ।
- केशों की सफाई का कौशल।
- मुट्ठी की चीज या मनकी बात बता देना।
- म्लेच्छित-कुतर्क-विकल्प ।
- शकुन-अपशकुन जानना, प्रश्नों उत्तर में शुभाशुभ बतलाना।
- नाना प्रकार के मातृका यन्त्र बनाना।
- सांकेतिक भाषा बनाना ।
- मन में कटक रचना करना।
- द्वित क्रीड़ा ।
- दूर के मनुष्य या वस्तुओं का आकर्षण।
- बालकों के खेल ।
- बेताल आदि को वश में रखने की विद्या ।
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खजुराहो क्यों प्रसिद्ध है ?
खजुराहो मंदिर अपनी कामुक मूर्तियों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है।
खजुराहो के मंदिर में किसकी मूर्ति है ?
खजुराहो मंदिर के गर्भगृह में भगवान ब्रह्मा और भगवान शिव की प्रतिमाओं के साथ देवा लक्ष्मी की प्रतिमा है।
क्या बच्चे खजुराहो जा सकते है ?
यदि बच्चे 15 वर्ष से कम उम्र के हैं तो उनके लिे मंदिर का दौरा निःशुल्क है।
खजुराहो कितने दिन में बना था ?
खजुराहो के मंदिर के निर्माण में लगभग 100 वर्ष लग गये थे इसका निर्माणकाल 950 AD से 1050 AD तक है।
खजुराहो से बागेश्वर धाम की दूरी कितनी है
खजुराहो मंदिर से बागेश्वर धाम की दूरी मात्र 25 किलोमीटर है आप खजुराहो रेलवे स्टेशन से बस/टेक्सी/टेम्पो आदि साधनों से बागेश्वर धाम जा सकते है।
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