Jyothi Yarraji: नाटकीय अन्दाज में जीता रजत पदक

 चर्चा में क्यों

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भारत की Jyothi Yarraji ने एशियन गेम्स की एथलेटिक्स प्रतियोगिता में महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ में तीसरा स्थान पाकर भी रजत पदक जीता। क्योंकि एशियन गेम्स के अधिकारियों ने भारतीय एथलीट ज्योति याराजी एवं चीनी खिलाड़ी वू यानी दोनो को अयोग्य घोषित कर दिया। क्योंकि उनका मानना था कि दोनो एथलीट ने पहले शुरुआत की थी।

लेकिन भारतीय अधिकारियों एवं ज्योति के विरोध करने पर उनको प्रतिस्पर्धा में भाग लेने की अनुमति दे दी। इस सब नाटकीय घटनाओं का असर के कारण ज्योति याराजी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नही कर सकी। जिसके कारण वह 100 मीटर बाधा दौड़ में 12.91 सेकेण्ड समय के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। वहीं चीनी एथलीट वू यानी ने दूसरा स्थान हासिल किया। लेकिन दौड़ पूरी होने के बाद भारतीय अधिकारियों के विरोध दर्ज करने पर चीनी एथलीट को अयोग्य घोषित कर दिया गया। जिसके परिणामस्वरूप भारतीय एथलीट ज्योति याराजी ने अपने पदक का कांस्य से रजत में तब्दील हो गया।  

Jyothi Yarraji के विवादित निर्णय पर अधिकारियों ने क्या कहा-

 एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की वरिष्‍ठ अध्‍यक्ष अंजू बॉबी जॉर्ज ने कहा ‘एक एथलीट के रूप में अपने पूरे जीवन में मैंने ऐसा कभी नहीं देखा – अधिकारी पहले किसी एथलीट को अयोग्य ठहराते हैं और फिर उसे वापस लाते हैं। उन्होंने ज्योति को बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन उसने कोई गलत शुरुआत नहीं की, उसके हाथ ट्रैक को छू रहे थे। चीनी धाविका पहले से ही एक कदम आगे थी। हमने तुरंत विरोध दर्ज कराया।’

Jyothi Yarraji की प्रतिक्रिया

 ज्योति ने बाद में मिश्रित क्षेत्र में मीडिया से कहा, ‘मुझे नियमों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन मैं स्पष्ट थी कि मैंने गलत शुरुआत नहीं की थी।’

कौन हैं Jyothi Yarraji-

JYOTI 1 Jyothi Yarraji: नाटकीय अन्दाज में जीता रजत पदक

भारत की सबसे तेज महिला हर्डलर का खिताब ज्योति याराजी के नाम है। Jyoti Yarraji भारतीय स्प्रिंटर हैं, जिन्होंने महिलाओं की 100 मीटर हर्डल रेस में इतिहास रचा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई प्रतिस्पर्धा में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत कर अपने नाम एक बड़ी सफलता हासिल की है।

जीवन परिचय

ज्योति याराजी का जन्म आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में 28 अगस्त 1999 को हुआ था। उनके पिता का नाम सूर्यनारायण है जो कि एक प्राइवेट सुरक्षा गार्ड के तौर पर काम करते हैं। वहीं ज्योति की मां कुमारी अस्पताल में क्लीनर के रूप में काम करती हैं, साथ ही घरेलू सहायिका का काम भी करती हैं।

शिक्षा और ट्रेनिंग

परिवार की आय बहुत ही कम हुआ करती थी। इन पैसों से घर की जरूरतों और बच्चों की पढ़ाई होनी थी। लेकिन ज्योति ने बचपन से ही एथलेटिक्स के क्षेत्र में काफी आगे थी।

वह विराज के पोर्ट हाई स्कूल कृष्णा में पढ़ती थीं, जब उनके फिजिकल एजुकेशन टीचर ने ज्योति के प्रतिभा को पहचाना और उन्हे लगा कि ज्योति एथलेटिक्स के क्षेत्र में बहुत अच्छा कर सकती है। जिस कारण उन्होनें ज्योति की  ट्रेनिंग शुरू कर दी। इस कठिन निर्णय में उनके  माता पिता ने भी उनका भरपूर साथ दिया। हालांकि ज्योति ने पढ़ाई भी जारी रखी और आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय से बीए इतिहास की पढ़ाई की।

कार्य क्षेत्र

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2020 में ज्योति याराजी ने कर्नाटक के मूडबिद्री में आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स मीट में स्वर्ण पदक जीता। इसी वर्ष खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में एक और स्वर्ण हासिल किया।


Jyothi Yarraji की उपलब्धि


पहले कोविड 19 महामारी और फिर पीठ की चोट के कारण उन्हें अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड दर्ज करने के लिए काफी इंतजार करना पड़ा। बाद में 2022 में उन्होंने भुवनेश्वर में ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी मीट में 13.7 सेकेंड समय में रेस को पूरा किया। मई में ज्योति ने लिमासोल में साइप्रस इंटरनेशनल एथलेटिक्स मीट से अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और महिलाओं की 100 मीटर हर्डल रेस में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया।

निष्कर्ष-

 भारत जैसे देश में एक लड़की होकर दुनिया भर की तमाम मुश्किलों के बावजूद, परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण भी ज्योति आज अपने सपनों को पूरा कर रही है। मेरी आशा है कि ज्योति भविष्य में अनेक पदक दिलाती रहेगी। Jyoti Yarraji यंग एथलीटों के प्रेरणास्त्रोत है।

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Jyothi Yarraji height कितनी है ?

170 cm

Jyothi Yarraji Age कितनी है ?

DOB 29 August 1999

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